चीन ने दलाई लामा संस्था पर जताया एतराज : दलाई लामा ने खा जारी रहेगी दलाई लामा संस्था, चीन को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं 

बौद्ध परंपरा से किया जाएगा उत्तराधिकारी का चयन

धर्मशाला। धर्मगुरु दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी। इसमें चीन या किसी अन्य संस्था को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म की पहचान की जिम्मेदारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी। यह ट्रस्ट 2015 से दलाई लामा के कार्यालय से संचालित है। इस प्रक्रिया में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों से परामर्श लिया जाएगा और मान्यता प्रक्रिया परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार की जाएगी। दलाई लामा को तिब्बती बौद्धों द्वारा करुणा के बौद्ध देवता चेनरेजिंग का जीवित अवतार माना जाता है।

अपने निवास स्थान मैक्लोडगंज में धर्मगुरु ने बुधवार को याद दिलाया कि वह 1969 में ही कह चुके थे कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा को जारी रखने का निर्णय तिब्बती जनता लेगी। इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई, लेकिन तिब्बती संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, धार्मिक संस्थानों, गैरसरकारी संगठनों और विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायियों विशेषकर तिब्बत में रहने वाले लोगों ने उनसे निवेदन किया कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाए। मैक्लोडगंज में 15वें तिब्बती धार्मिक सम्मेलन के दौरान विभिन्न धार्मिक परंपराओं के प्रतिष्ठित लामाओं, प्रतिनिधियों व अनुयायियों के नेतृत्व में प्रतिभागियों ने भी दलाई लामा संस्था को यथावत रखने पर सहमति जताई।

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दलाई लामा ने वक्तव्य जारी कर याद दिलाया कि उन्होंने कहा था कि जब वे 90 वर्ष के होंगे तो तिब्बती बौद्ध परंपरा के वरिष्ठ लामाओं और जनता से इस विषय पर विचार विमर्श करेंगे।पत्रकारों से बातचीत में निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग व पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफेसर सामदोंग रिंपोछे ने कहा कि धार्मिक सम्मेलन में प्रतिष्ठित लामाओं ने भी इस बात का समर्थन किया है।

1959 में छोड़ा था तिब्बत
दलाई लामा ने 1959 में चीन से उस समय पलायन किया था, जब चीनी सेना ने कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ जेडोंग के नेतृत्व में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। तब से वह धर्मशाला में रह रहे हैं। चीनी सरकार ने 2002 से 2010 के बीच दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ नौ दौर की वार्ता की लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। चीन ने दलाई लामा की स्वायत्तता योजना को अस्वीकार किया है।

चीन ने अस्वीकार की उत्तराधिकार योजना
बीजिंग, प्रेट्रः चीन ने बुधवार को दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि भविष्य के किसी भी उत्तराधिकारी को उसकी स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “-दलाई लामा के पुनर्जन्म को घरेलू मान्यता के सिद्धांतों, गोल्डन अर्न प्रक्रिया और केंद्रीय सरकार की स्वीकृति का पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दलाई लामा और पंचेन लामा, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे उच्च धर्मगुरु हैं, का पुनर्जन्म सदियों पुरानी गोल्डन अर्न कानून प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए। यह प्रक्रिया 18वीं शताब्दी के किंग राजवंश द्वारा शुरू की गई थी। बकौल माओ, वर्तमान 14वें दलाई लामा को उनके पूर्ववर्ती की मृत्यु के बाद पारंपरिक अनुष्ठानों के बाद मान्यता दी गई थी।

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